मेरे विचार

मेरे विचार—-जैसे अग्नि के सत्संग मे काला कोयला भी तप कर सुनहले रंग का होकर अपनी ऊर्जा से आस पास के वातावरण को प्रभावित करता है ,उसी प्रकारमनुष्य यदि चाहे तो तप और सत्संग सेअपने भीतर कोयला रूपी बुरे विचारों को तप रूपी अग्नि मे उसे तपाकर सदगुणों के सुनहले प्रकाश से स्वयं और समाज को प्रकाशित कर सकता है!

—ज्योतिषाचार्य (वेद)

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